शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिवस को हम माँ दुर्गा के द्वितीय स्वरूप माता ब्रह्मचारिणी की उपासना करते हैं।
इस आर्टिकल में हम माता के इस विशेष ज्योतिर्मय रूप को जानेंगे।

कौन हैं माता ब्रह्मचारिणी? Who is Brahmacharini Mata?

देवी पुराण के 45 वें अध्याय के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी सदैव तप में लीन रहती हैं। इसलिए इनका तेज बढ़ गया और इसी कारण इनका रंग सफेद यानि गौर वर्ण बताया गया है।
देवी के इस विशेष रूप के दायें हाथ में जप की माला है तो बाएँ हाथ में माता ब्रह्मचारिणी कमंडल धारण करती हैं।

शास्त्रों के अनुसार माँ दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया था। उन्होंने देवर्षि नारद जी के कहने पर
देवाधिदेव महादेव को पति के रूप में माने के लिए अत्यंत कठिन तप किया था। हजारों वर्षों तक वो कठिन तपस्या में लीन रहीं जिसके कारण
इनका नाम तपश्चरिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा ।

माता ब्रह्मचारिणी की उपासना के लाभ

माता का द्वितीय रूप सर्वस्व सिद्धियों को देने वाला अत्यंत ही कल्याणकारी है। किसी भी परिस्थिति में
विचलित ना होने की क्षमता माता आशीर्वाद स्वरूप देती हैं। इनकी पूजा से तप ,आरोग्य, सदाचार इत्यादि की वृद्धि होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए हम आपको एक दिव्य मंत्र का सुझाव देते हैं जो समस्त विघ्न- बाधाओं को हर लेने वाला है -

दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

(अर्थात जिनके एक हाथ में अक्षमाला है और दूसरे हाथ में कमण्डल है, ऐसी उत्तम ब्रह्मचारिणीरूपा मां दुर्गा मुझ पर कृपा करें।)

माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर पूजा के स्थान पर गंगाजल से शुद्धिकरण कर दें । घर के पूजा स्थल / मंदिर में दीपक प्रज्ज्वलित कर दें।
माता को अक्षत, सिंदूर, लाल पुष्प आदि अर्पित कर दें तथा प्रसाद के रूप में फल , चीनी , मिश्री , पंचामृत अथवा मिष्ठान का भोग लगाएँ। पूजा करते समय अगर पीले रंग के वस्त्र
पहना जाए तो ये उत्तम होगा। सम्पूर्ण मन से माँ दुर्गा कि स्तुति, चालीसा पाठ और आरती करें ।

पूजा के समय आप इस दिव्य मंत्र का भी जप कर सकते हैं -

या देवी सर्वभू‍तेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

Note: Information given here is as per the available data/ information and mythology. Date and timings may vary for some regions. Consult religious experts and astrologers for more details.